Kamar dard ko khatm karen ye yogasan | .. Do this Yogasan to end back pain........

योगासन द्वारा हो सकता है अनेक रोगों का विनाश |





 मकरासन :- मकरासन में  हमें मकर यानि की मगरमछ की भांति लेटकर हम यह योगसन करते  है |
इसलिए इसे मकरासन कहते है | 
मकरासन की विधि :-  मकरासन करने की  विधि बोहत ही आसान है |
  • इसके लिए सबसे पहले हमें कोई कपडा ले  लेना है और उसे आपको जमीन पर बिछा देना है ताकि यह आसन करते वक्त आपके कपडे खराब न हों | फिर आपको अपनी छाती के बल लेट जाना है | ठोड़ी , छाती एवं पेट जमीन पर स्टे रहें। बिलकुल जिस प्रकार आप छाती के बल लेटकर टीवी या फिर  है | 
  • अब आप सिर को उठाएं और दोनों हाथों को गाल पर लाते हुए कप का आकार बनाएं। पैरों के बीच में अपने योग मैट के बराबर दुरी बनाएं | धीरे धीरे दोनों पैरों को नीचे से ऊपर अपने हिप्स की ओर लेकर आएं  और फिर धीरे धीरे नीचे लेकर जाएं। 
  •  यह विधि आप छह से दस बार तक दोहराएं | 

मकरासन के लाभ :- 
  •  कमर दर्द के लिए यह बेहतरीन योगाभ्यास है। इसका नियमित अभ्यास करने से आप हमेशा हमेशा के लिए कमर दर्द से छुटकारा पा सकते हैं। यह कमर दर्द में रामबाण औषधि की तरह है |  
  • यह रीढ़ की हड्डी के लिए अतिउत्तम योगाभ्यास है। यह पुरे मेरुदण्ड को स्वस्थ रखता है | जिससे करने के  बाद  रीढ़ की हड्डी बिलकुल रिलैक्स पोजीशन में आ जाती है | 
  •  इससे दमा और श्वांस संबंधी रोग समाप्त हो जाते हैं| 
  •  मकरासन के प्रत्येक दिन अभ्यास करने से समस्त कोशिकाओं, मांसपेशियों को आराम मिलता है। मकरासन से शरीर में खून का संचार सुचारु रूप से होने लगता है जिससे वे हमेशा स्वस्‍थ और निरोगी रहते है। 
  • मकरासन के द्वारा हमारे फेफड़ों को अच्छी तरह से ऑक्सीजन प्रापत होती है | जोकि हमे निरोगी रहने में मदत करती है | 


अर्ध-मत्स्येन्द्रासन :-  योगी मत्स्येन्द्रनाथ के नाम पर इस आसन का नाम मत्स्येन्द्रासन पड़ा। इस आसन को वक्रासन भी कहा जाता है।


अर्ध-मत्स्येन्द्रासन की विधि :- 
  • बैठकर दोनों पैर लंबे किए जाते हैं। तत्पश्चात बाएँ पैर को घुटने से मोड़कर एड़ी गुदाद्वार के नीचे जमाएँ। 
  • फिर दाहिने पैर को घुटने से मोड़कर खड़ा कर दें और बाएँ पैर की जंघा से ऊपर ले जाते हुए जंघा के पीछे जमीन पर रख दें। 
  • फिर  बाएँ हाथ को दाहिने पैर के घुटने से पार करके अर्थात घुटने को बगल में दबाते हुए बाएँ हाथ से दाहिने पैर का अँगूठा पकड़ें। अब दाहिना हाथ पीठ के पीछे से घुमाकर बाएँ पैर की जाँघ का निम्न भाग पकड़ें। 
  • सिर दाहिनी ओर इतना घुमाएँ क‍ि ठोड़ी और बायाँ कंधा एक सीधी रेखा में आ जाए। नीचे की ओर झुकें नहीं। छाती बिल्कुल तनी हुई रखें।
  • यह अभ्यास आप आठ  से बारह बार करें | 
अर्ध-मत्स्येन्द्रासन के लाभ :- 
  • अर्धमत्स्येंद्रासन से मेरुदंड स्वस्थ रहने से स्फूर्ति बनी रहती है।
  • यह  रीढ़ की हड्डियों के साथ उनमें से निकलने वाली नाड़ियों को भी अच्छी कसरत मिल जाती है। पीठ, पेट के नले, पैर, गर्दन, हाथ, कमर, नाभि से नीचे के भाग एवं छाती की नाड़ियों को अच्‍छा खिंचाव मिलने से उन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। फलत: बंधकोष दूर होता है।
  • इससे  जठराग्नि तीव्र होती है। विवृत, यकृत, प्लीहा तथा निष्क्रिय वृक्क के लिए यह आसन लाभदायी है। 
  • तिदिन अभ्यास करने से शरीर के अंदर जमा टॉक्सिन्स (toxins) बाहर निकल आते हैं इससे शरीर में असमय बीमारियां नहीं लगती हैं और शरीर की सुरक्षा होती है।
  •  इसके साथ ही यह आसन कंधे और गर्दन के लिए भी फायदेमंद होता है और शरीर को ऊर्जा से भर देता है।


हलासन :- हलासन करते वक्त शरीर की स्थित हल के समान हो जाती है इसीलिए इसे हलासन कहते हैं।



हलासन  की विधि :- 
  •  सबसे पहले साफ़ जगह पर एक चटाई बिछा लेंं।आप सर्वांगासन की तरह जमीन पर पीठ के बल लेट जाएंं |  
  • फिर अपने दोनों पैरों को एक-दूसरे से मिलाकर रखें और अपनी हथेलियों को कमर के पास सटाकर रखें। अपने मुंह को आकाश की तरफ करके अपनी दोनों आखों को बंद कर लेंं। 
  • फिर अपने शरीर को एकदम से ढीला छोड़ देंं।श्वास को अंदर की ओर लेते हुए अपने दोनों पैरों को धीरे-धीरे करके उठाएं।
  • उसके बाद  दोनों पैरों का समकोण बन जाए तब अपने श्वास को छोड़ें। सर्वांगासन की स्तिथि में आने के बाद अपने दोनों पैरों को अपने सिर के पीछे जमीन मिलाये | 
  • अपनी कमर और पीठ को पीछे झुकाने के लिए अपने दोनों हाथो का सहारा लेंं, हाथ की कोहनियों से पीठ को पीछे जमीन से लगा कर रखें।फिर अपनी पीठ और पैर को धीरे-धीरे जमीन पर लगाना शुरू कर देंं |
  • यह आसान  भी आपको छह से दस बार करें | 

हलासन के लाभ :- 
  • इससे नाड़ीतंत्र शुद्ध होता  है। शरीर बलवान और तेजस्वी बनता है। लीवर और प्लीहा बढ़ गए हो तो हलासन से सामान्यावस्था में आ जाते हैं। 
  • अपानवायु का उत्थानन होकर उदान रूपी अग्नि का योग होने से कुंडल‍िनी उर्ध्वगामी बनती है। विशुद्धचक्र सक्रिय होता है।
  • अगर आप के पेट या कमर में अधिक चर्बी हो गई है, तो आप को हलासन करना चाहिए क्योंंकि इसको करने से आपकी जमा चर्बी कम होती है।
  • हलासन को करने से हमारा खाना सही तरीके से और अच्छे से पच जाता है।
  • . इस आसन को करने से हमारी पीठ, कमर, गर्दन मजबूत होते हैं।इस आसन को करने से सिरदर्द, अनिद्रा ओर बांंझपन जैसी समस्याएँ खत्म हो जाती है।
  •  इसको करने से शरीर बलवान और तेजस्वी बनता है।
  • इस आसन को करने से कब्ज, खांसी, दमा जैसी बीमारियाँ नहीं लगती। इसको करने से हमारा रक्त संचार तेजी से काम करता है | 



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