Janeu ki bimari kya hai iske lakshan | Know the treatment for prevention of herpies disease........

जनेऊ की बीमारी में फायदेमंद रहेंगे ये उपचार | और जाने जनेऊ क्या है ?क्या है इसके लक्षण | 




हर्पीस एक प्रकार का वायरस होता है | इसे कुछ लोग जनेऊ के नाम से भी जानते है | अगर इस बीमारी का इलाज सही वक्त पर न हो तो इसका परिणाम बहुत भयानक हो सकता है | यह वायरस बाहरी जननांग, क्षेत्र और शरीर के अन्य भागों की त्वचा को प्रभावित करता है। हर्पीस दो तरह का होता है- HSV-1 यानी हर्पीस टाइप 1 या ओरल हर्पीस और दूसरा HSV-2 यानी जिनाइटल हर्पीस या हर्पीस टाइप हर्पीस में जननांगो और शरीर के अन्य भागों में खुजली वाले दर्दनाक फफोले, दाद या घाव हो जाते हैं, जो कभी आते हैं तो कभी चले जाते हैं।कई बार हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों में छोटी-छोटी फुंसियां निकल आती हैं। भूख और प्यास कम लगती है। हर्पीस बीमारी में निकलने वाले छाले महिलाओं की बच्चेदानी एवं पुरुषों के मूत्र-मार्ग को भी अपनी चपेट में ले सकते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है |  जिसमें शरीर पर छोटे-छोटे पानी से भरे दाने निकल आते हैं जो बाद में शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते हैं |  तो चलिए जानते है | हर्पीस  के उपचार और इसके लक्षण |

 जनेऊ (हर्पीस) के लक्षण  :- 


 
  •   यह ज्यादातर मुँह और गुप्त जगहों पर आती है | जनेऊ कई बार छाती या कमर के ऊपर से शुरु होता है बिलकुल जनेऊ के आकार बनती है | महीनों तक तो इसके लक्षण नजर ही नहीं आते हैं। इसीलिए यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है।
  •  वहीं कुछ लोगों में 10 दिनों के अंदर ही हर्पीस अपना रूप दिखाना शुरू कर देता है।
  • इसी कारण इसे सामान्य भाषा में जनेऊ का नाम दिया है | इससे संकर्मित व्यक्ति को  काफी तेज दर्द होता है | 



  • यह दर्द उन्ही फिनसियों या जोड़ों में या फिर सारे शरीर में या इससे बुखार भी हो सकता है | भैंसिया दाद या जनेऊ को अंग्रेजी में हर्पीस जोस्टर कहा जाता है। 
  • यह बीमारी बहुत ही खतरनाक होती है। अगर चिकन पॉक्स का वायरस यानी वेरिसेला जोस्टर वायरस पहले से ही शरीर में मौजूद है तो हर्पीस की बीमारी हो सकती है।
  • यह रोग हर्पीस नाम के वायरस की वजह से होता है। यह ऐसा वायरस होता है जो त्वचा पर दर्दयुक्त घाव उत्पन्न करता है।  
  • अगर चिकन पॉक्स का वायरस यानी वेरिसेला जोस्टर वायरस पहले से ही शरीर में मौजूद है तो हर्पीस की बीमारी हो सकती है।यह बीमारी जायदातर चालीस वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को जल्दी होती है |
     
  • हमेशा बुखार रहता है और लिंफ नोड्स काफी बड़ी हो जाती हैं।


जनेऊ (हर्पीस) से बचाव एव उपचार :-  

 हर्पीस से संकर्मित व्यक्ति बचाव में एंटी वायरल दवाइयों  का प्रयोग करें | और इन फिनसियों के ऊपर एंटी वायरल लोशन लगाए |


  • चंदन को गुलाब जल में घिसकर हर्पीस वाले घाव पर लगाने से लाभ मिलता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परमार्श लें।
  • एलोवेरा कई तरह के रोगों को ठीक करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। एलोवेरा जेल को हर्पीस से प्रभावित जगह पर लगाएं। इससे लाभ मिलता है। 
  • इसके इलाज के लिए कुछ घरेलू तरीके भी अपनाए जा सकते हैं, जैसे कि हल्के गरम पानी में थोड़ा सा नमक डालकर नहाने से फायदा मिलता है।
  •  प्रभावित हिस्से पर पेट्रोलियम जैली लगाने से भी राहत मिलती है। इसके अलावा जब तक हर्पीस के लक्षण पूरी तरह से खत्म न हो जाएं तब तक यौन संबंध या किसी भी प्रकार की यौन क्रिया में शामिल न हों।
  •  शाकाहारी लोग लायसीन से समृद्ध आहार सब्जियां और दालें लें। मांसाहारी लोग मछली, टर्की और चिकन भी ले सकते हैं।
  • आहार में ब्रसल्स स्प्राउट्स, पत्तागोभी, फूलगोभी आदि लें, इनमें एक सक्रिय तत्व होता है, जिसे इन्डोल-3-कार्बिनोल कहते हैं, जो हर्पीस वायरस की प्रतिकृति बनने से रोकने में उपयोगी पाया गया है।
  • यदि आप नियमित रूप से  शहद को हर्पीज़ से प्रभावित जगह पर लगाते हैं तो इस बीमारी से आराम मिलता है। इससे जलन से भी शांति मिलती है।
  • मुलेठी की जड़ से बना चूर्ण हर्पीस  में लाभकारी होता है। इसे बनाने के तरीकों के बारे में किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से जानकारी लें| 
  • हर्पीस से प्रभावित क्षेत्र में पेट्रोलियम जेली का उपयोग करें। यह हर्पीज़ का उपचार करने का असरदार तरीका है।
  •  इसके अलावा फैमसाइक्लोविर और वैलासाइक्लोविर दवाइयां भी रोगी को दी जा सकती हैं। इन दवाइयों के साथ रोगी को सपोर्टिव ट्रीटमेंट भी दिया जाता है। लेकिन इन दवाइयों का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना बिल्कुल भी न करें क्योंकि इनका असर हर रोगी पर अलग-अलग तरह से हो सकता है।  
  • इसके अलावा एक से अधिक सेक्शुअल पार्टनर होने से भी हर्पीस का वायरस अटैक कर सकता है।
  •  ठन्डे पानी से नहाये ,खाने में अंकुरित भोजन का प्रयोग करे | ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करें | हरीसब्जियां कहानी चाहिए | 
  • छालों में टी बैग की मदद से राहत पाई जा सकती है।टी बैग को फ्रिज में रखकर ठंडा कर लें और इसे प्रभावित हिस्से पर लगा के आराम प्राप्त करें। इसके अलावा गर्म टी बैग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।




संकर्मित व्यक्ति को घरेलू उपचार करने से पहले नजदीकी चिकित्सक से  सम्पर्क करना चाहिए। 
 

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